नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Rahim Ke Dohe. जो आपको बहुत अच्छी शिख देंगे।
हमने इस आर्टिकल में बहुत ही भेतरीन Rahim Das Ke Dohe डाला है जो आपको बहुत पसंद आएंगे।
तो चलिए शुरू करते है Rahim Das Ke Dohe.
Best Rahim Das Ke Dohe

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है|
Best Rahim Ke Dohe

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय | जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय ||
अर्थ : दुःख में सभी लोग भगवान को याद करते हैं. सुख में कोई नहीं करता, अगर सुख में भी याद करते तो दुःख होता ही नही |
Best Rahim Das Ke Dohe

रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ, जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ||
अर्थ: रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.
Best Rahim Ke Dohe

जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह. धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए|
Best Rahim Das Ke Dohe
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर | पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ||
अर्थ : बड़े होने का यह मतलब नहीं हैं की उससे किसी का भला हो. जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता हैं लेकिन उसका फल इतना दूर होता है की तोड़ना मुश्किल का कम है |
Best Rahim Ke Dohe
दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं. जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं||
अर्थ: कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती।लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है|
Best Rahim Das Ke Dohe
समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात. सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है|
Best Rahim Ke Dohe
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार||
अर्थ: यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए|
Best Rahim Das Ke Dohe
निज कर क्रिया रहीम कहि सीधी भावी के हाथ पांसे अपने हाथ में दांव न अपने हाथ||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि अपने हाथ में तो केवल कर्म करना ही होता है सिद्धि तो भाग्य से ही मिलती है जैसे चौपड़ खेलते समय पांसे तो अपने हाथ में रहते हैं पर दांव क्या आएगा यह अपने हाथ में नहीं होता.
Best Rahim Ke Dohe
बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय | औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय ||
अर्थ : अपने अंदर के अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दुसरों को और खुद को ख़ुशी हो |
Best Rahim Das Ke Dohe
खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय. रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय||
अर्थ: खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.
Best Rahim Ke Dohe
रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय भीति आप पै डारि के, सबै पियावै तोय||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि उस व्यवहार की सराहणा की जानी चाहिए जो घड़े और रस्सी के व्यवहार के समान हो घडा और रस्सी स्वयं जोखिम उठा कर दूसरों को जल पिलाते हैं जब घडा कुँए में जाता है तो रस्सी के टूटने और घड़े के टूटने का खतरा तो रहता ही है|
Best Rahim Das Ke Dohe
संपत्ति भरम गंवाई के हाथ रहत कछु नाहिं ज्यों रहीम ससि रहत है दिवस अकासहि माहिं||
अर्थ: जिस प्रकार दिन में चन्द्रमा आभाहीन हो जाता है उसी प्रकार जो व्यक्ति किसी व्यसन में फंस कर अपना धन गँवा देता है वह निष्प्रभ हो जाता है|
Best Rahim Ke Dohe
माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल और त्यों रहीम जग जानिए, छुटे आपुने ठौर||
अर्थ: माघ मास आने पर टेसू का वृक्ष और पानी से बाहर पृथ्वी पर आ पड़ी मछली की दशा बदल जाती है. इसी प्रकार संसार में अपने स्थान से छूट जाने पर संसार की अन्य वस्तुओं की दशा भी बदल जाती है. मछली जल से बाहर आकर मर जाती है वैसे ही संसार की अन्य वस्तुओं की भी हालत होती है|
Best Rahim Das Ke Dohe
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय. सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय||
अर्थ: रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.
Best Rahim Ke Dohe
वरू रहीम कानन भल्यो वास करिय फल भोग बंधू मध्य धनहीन ह्वै, बसिबो उचित न योग||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि निर्धन होकर बंधु-बांधवों के बीच रहना उचित नहीं है इससे अच्छा तो यह है कि वन मैं जाकर रहें और फलों का भोजन करें|
Best Rahim Das Ke Dohe
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन. अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन||
अर्थ : बारिश के मौसम को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया हैं | अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं तो इनकी सुरीली आवाज को कोई नहीं पूछता, इसका अर्थ यह हैं की कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप छाप रहना पड़ता हैं | कोई उनका आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता हैं |
Best Rahim Ke Dohe
ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों. तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै||
अर्थ: ओछे मनुष्य का साथ छोड़ देना चाहिए. हर अवस्था में उससे हानि होती है – जैसे अंगार जब तक गर्म रहता है तब तक शरीर को जलाता है और जब ठंडा कोयला हो जाता है तब भी शरीर को काला ही करता है|
Best Rahim Das Ke Dohe
वृक्ष कबहूँ नहीं फल भखैं, नदी न संचै नीर परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर !
अर्थ: वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते, नदी जल को कभी अपने लिए संचित नहीं करती, उसी प्रकार सज्जन परोपकार के लिए देह धारण करते हैं !
Best Rahim Ke Dohe
लोहे की न लोहार की, रहिमन कही विचार जा हनि मारे सीस पै, ताही की तलवार||
अर्थ: रहीम विचार करके कहते हैं कि तलवार न तो लोहे की कही जाएगी न लोहार की, तलवार उस वीर की कही जाएगी जो वीरता से शत्रु के सर पर मार कर उसके प्राणों का अंत कर देता है|
Best Rahim Das Ke Dohe
तासों ही कछु पाइए, कीजे जाकी आस रीते सरवर पर गए, कैसे बुझे पियास||
अर्थ: जिससे कुछ पा सकें, उससे ही किसी वस्तु की आशा करना उचित है, क्योंकि पानी से रिक्त तालाब से प्यास बुझाने की आशा करना व्यर्थ है|
Best Rahim Ke Dohe
रहिमन नीर पखान, बूड़े पै सीझै नहीं तैसे मूरख ज्ञान, बूझै पै सूझै नहीं
अर्थ: जिस प्रकार जल में पड़ा होने पर भी पत्थर नरम नहीं होता उसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति की अवस्था होती है ज्ञान दिए जाने पर भी उसकी समझ में कुछ नहीं आता.
Best Rahim Das Ke Dohe
साधु सराहै साधुता, जाती जोखिता जान रहिमन सांचे सूर को बैरी कराइ बखान||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि इस बात को जान लो कि साधु सज्जन की प्रशंसा करता है यति योगी और योग की प्रशंसा करता है पर सच्चे वीर के शौर्य की प्रशंसा उसके शत्रु भी करते हैं.
Best Rahim Ke Dohe
राम न जाते हरिन संग से न रावण साथ जो रहीम भावी कतहूँ होत आपने हाथ
अर्थ: रहीम कहते हैं कि यदि होनहार अपने ही हाथ में होती, यदि जो होना है उस पर हमारा बस होता तो ऐसा क्यों होता कि राम हिरन के पीछे गए और सीता का हरण हुआ. क्योंकि होनी को होना था – उस पर हमारा बस न था न होगा, इसलिए तो राम स्वर्ण मृग के पीछे गए और सीता को रावण हर कर लंका ले गया.
Best Rahim Das Ke Dohe
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान |
अर्थ: रहीम कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।
Best Rahim Ke Dohe
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत | काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत ||
अर्थ : गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी. जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता |
Best Rahim Das Ke Dohe
एकहि साधै सब सधैए, सब साधे सब जाय | रहिमन मूलहि सींचबोए, फूलहि फलहि अघाय ||
अर्थ: एक को साधने से सब सधते हैं. सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है – वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है |
Best Rahim Ke Dohe
मथत-मथत माखन रहे, दही मही बिलगाय | ‘रहिमन’ सोई मीत है, भीर परे ठहराय ||
अर्थ : सच्चा मित्र वही है, जो विपदा में साथ देता है। वह किस काम का मित्र, जो विपत्ति के समय अलग हो जाता है? मक्खन मथते-मथते रह जाता है, किन्तु मट्ठा दही का साथ छोड़ देता है |
Best Rahim Das Ke Dohe
रहिमन’ वहां न जाइये, जहां कपट को हेत | हम तो ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत ||
अर्थ : ऐसी जगह कभी नहीं जाना चाहिए, जहां छल-कपट से कोई अपना मतलब निकालना चाहे। हम तो बड़ी मेहनत से पानी खींचते हैं कुएं से ढेंकुली द्वारा, और कपटी आदमी बिना मेहनत के ही अपना खेत सींच लेते हैं।
Best Rahim Ke Dohe
छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात | कह रहीम हरी का घट्यौ, जो भृगु मारी लात ||
अर्थ : उम्र से बड़े लोगों को क्षमा शोभा देती हैं, और छोटों को बदमाशी. मतलब छोटे बदमाशी करे तो कोई बात नहीं बड़ो ने छोटों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिये. अगर छोटे बदमाशी करते हैं तो उनकी मस्ती भी छोटी ही होती हैं. जैसे अगर छोटासा कीड़ा लाथ भी मारे तो उससे कोई नुकसान नहीं होता.
Best Rahim Das Ke Dohe
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय||
अर्थ: मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.
Best Rahim Ke Dohe
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान. रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान ||
अर्थ : सारा संसार जानता हैं की खैरियत, खून, खाँसी, ख़ुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब का नशा छुपाने से नहीं छुपता हैं |
Best Rahim Das Ke Dohe
जो रहीम ओछो बढै, तौ अति ही इतराय | प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ों टेढ़ों जाय ||
अर्थ : लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत इतराते हैं. वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में ज्यादा फ़र्जी बन जाता हैं तो वह टेढ़ी चाल चलने लता हैं |
Best Rahim Ke Dohe
चाह गई चिंता मिटीमनुआ बेपरवाह | जिनको कुछ नहीं चाहिये, वे साहन के साह ||
अर्थ : जिन लोगों को कुछ नहीं चाहिये वों लोग राजाओं के राजा हैं, क्योकी उन्हें ना तो किसी चीज की चाह हैं, ना ही चिन्ता और मन तो पूरा बेपरवाह हैं |
Best Rahim Das Ke Dohe
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन | पानी गये न ऊबरे, मोटी मानुष चुन ||
अर्थ : इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है, पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है. रहीम कह रहे हैं की मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिये |
पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोटी का कोई मूल्य नहीं | पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे से जोड़कर दर्शाया गया हैं.
रहीमदास का ये कहना है की जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोटी का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी यानी विनम्रता रखनी चाहिये जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है |
Best Rahim Ke Dohe
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं. गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं||
अर्थ: रहीम अपने दोहें में कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती|
Best Rahim Das Ke Dohe
मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय | फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय ||
अर्थ : मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं लेकिन अगर एक बार वो फट जाएं तो कितने भी उपाय कर लो वो फिर से सहज और सामान्य रूप में नहीं आते |
Best Rahim Ke Dohe
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर | जब नाइके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ||
अर्थ : इस दोहे में रहीम का अर्थ है की किसी भी मनुष्य को ख़राब समय आने पर चिंता नहीं करनी चाहिये क्योंकि अच्छा समय आने में देर नहीं लगती और जब अच्छा समय आता हैं तो सबी काम अपने आप होने लगते हैं।
Best Rahim Das Ke Dohe
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग. चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग||
अर्थ: रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते.
Best Rahim Ke Dohe
रहिमन वे नर मर गये, जे कछु मांगन जाहि | उतने पाहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि ||
अर्थ : जो इन्सान किसी से कुछ मांगने के लिये जाता हैं वो तो मरे हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुह से कुछ भी नहीं निकलता हैं |
Best Rahim Das Ke Dohe
रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय | हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ||
अर्थ : संकट आना जरुरी होता हैं क्योकी इसी दौरान ये पता चलता है की संसार में कौन हमारा हित और बुरा सोचता हैं |
Best Rahim Ke Dohe
जे गरिब पर हित करैं, हे रहीम बड | कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग |
अर्थ : जो लोग गरिब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं. जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना हैं |
Best Rahim Das Ke Dohe
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय. बारे उजियारो लगे, बढे अँधेरो होय |
अर्थ : दिये के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता हैं. दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ अंधेरा होता जाता हैं |
Best Rahim Ke Dohe
चाह गई चिंता मिटीमनुआ बेपरवाह | जिनको कुछ नहीं चाहिये, वे साहन के साह |
अर्थ : जिन लोगों को कुछ नहीं चाहिये वों लोग राजाओं के राजा हैं, क्योकी उन्हें ना तो किसी चीज की चाह हैं, ना ही चिन्ता और मन तो पूरा बेपरवाह हैं |
Best Rahim Ke Dohe
बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय। ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥
अर्थ :- रहीम कहते हैं कि जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था।
Best Rahim Ke Dohe
जे सुलगे ते बुझि गये बुझे तो सुलगे नाहि रहिमन दाहे प्रेम के बुझि बुझि के सुलगाहि ।
अर्थ :- आग सुलग कर बुझ जाती है और बुझने पर फिर सुलगती नहीं है ।पे्रम
की अग्नि बुझ जानेके बाद पुनः सुलग जाती है। भक्त इसी आग में सुलगते हैं ।
Best Rahim Ke Dohe
धनि रहीम गति मीन की जल बिछुरत जिय जाय जियत कंज तजि अनत वसि कहा भौरे को भाय।
अर्थ :- मछली का प्रेम धन्य है जो जल से बिछड़ते हीं मर जाती है।
भौरा का प्रेम छलावा है जो एक फूल का रस ले कर तुरंत दूसरे फूल पर जा बसता है। जो केवल अपने स्वार्थ के लिये प्रेम करता है वह स्वार्थी है।
Best Rahim Ke Dohe
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