Best 199+ Kumar Vishwas Shayari In Hindi 2022 | कुमार विश्वास शायरी

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Best Kumar Vishwas Shayari In Hindi. जो आपको कही और नहीं मिलेगी।

जैसा की आप जानते हो की Kumar Vishwas Ki Shayari दिल छू लेने वाली होती है। इसलिए हमने आज आपके लिए बहुत ही शानदार Kumar Vishwas Ki Shayari लेके आये है।

तो चलिए शुरू करते है Kumar Vishwas Ki Shayari.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Kumar Vishwas Shayari In Hindi

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.

मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

Kumar Vishwas Shayari In Hindi

Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Kumar Vishwas Shayari In Hindi
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है

Kumar Vishwas Shayari In Hindi

Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Kumar Vishwas Shayari In Hindi
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी  से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा

Kumar Vishwas Shayari In Hindi

Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Kumar Vishwas Shayari In Hindi
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Kumar Vishwas Shayari In Hindi
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

Kumar Vishwas Shayari In Hindi

Kumar Vishwas Shayari
Kumar Vishwas Shayari
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

Kumar Vishwas Shayari
Kumar Vishwas Shayari
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है

पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो,
उस पे फिर से अधिकार क्या करना


कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

कुमार विश्वास शायरी
कुमार विश्वास शायरी
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है…
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…”

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

कुमार विश्वास शायरी
कुमार विश्वास शायरी
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
शाएरी को नज़र नहीं मिलती
मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
मगर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||
तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी
कुमार विश्वास दोस्ती शायरी
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है

Kumar Vishwas Shayari In Hindi

कुमार विश्वास दोस्ती शायरी
कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,

अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि रौशनाई है.

 क़लम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा,
गिरेबां अपना आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा.

नहीं मुझ पर भी जो खुद की ख़बर वो है ज़माने पर,
मैं हँसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी
कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

  भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.

   वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है

किसी  से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी
कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है

जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है.

 कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी तो, बस बादल समझता है

मैं तुमसे दूर कितना हु , तू मुझसे दूर कितनी है
ये तेरा दिल समझता है , या मेरा दिल समझता है.


कुमार विश्वास दोस्ती शायरी

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते

जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते.

 उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

तुम अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,

लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही.

बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,

तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी  मीरा दीवानी है

यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी है
जो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है.

 ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है

इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा ,
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

हर इक खोने में हर इक पाने में
तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है.

तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है.

  वो जो खुद में से कम निकलतें हैं,
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं.

आप में कौन-कौन रहता है ?
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?

मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा.

  उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,

तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?

मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा .

हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,

कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

अजब है कायदा दुनिया ए इश्क का मौला
फूल मुरझाये तब उस पर निखार आता है

अजीब बात है तबियत ख़राब है जब से
मुझ को तुम पे कुछ ज्यादा प्यार आता है.

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है

अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है?
इसे हल कर दे

ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे.

मोहब्बत का मज़ा तो,
डूबने की कशमकश में है.
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

मेरे जीने मरने में,
तुम्हारा नाम आएगा.

मैं सांस रोक लू फिर भी,
यही इलज़ाम आएगा.

हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा,

अगर राधा पुकारेंगी,
तो घनश्याम आएगा.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

कहीं पर जग लिए तुम बिन,
कहीं पर सो लिए तुम बिन.

भरी महफिल में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन

ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

गिरेबां चाक करना क्या है,
सीना और मुश्किल है.

हर एक पल मुस्कुरा के,
अश्क पीना और मुश्किल है.

हमारी बदनसीबी ने,
हमें इतना सीखाया है.

किसी के इश्क में मरने से,
जीना और मुश्किल


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

यह चादर सुख की मोल क्यू,
सदा छोटी बनाता  है.

सीरा कोई भी थामो,
दूसरा खुद छुट जाता है.

तुम्हारे साथ था तो मैं,
जमाने भर में रुसवा था.

मगर अब तुम नहीं हो तो,
ज़माना साथ गाता है.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

कोई कब तक महज सोचे,
कोई कब तक महज गाए.

ईलाही क्या ये मुमकिन है कि
कुछ ऐसा भी हो जाऐ.

मेरा मेहताब उसकी रात के
आगोश मे पिघले

मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ
वो मुझमे घुल के सो जाऐ.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

 तुझ को गुरुर ए हुस्न है
मुझ को सुरूर ए फ़न.

दोनों को खुद पसंदगी की
लत बुरी भी है.

तुझ में छुपा के खुद को
मैं रख दूँ मग़र मुझे.

कुछ रख के भूल जाने की
आदत बुरी भी है.


कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायरी

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर
क्या डर जाऊँगा?

तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,

भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना, मर जाऊँगा.

बस्ती – बस्ती घोर उदासी,
पर्वत – पर्वत सुनापन.

मन हीरा बेमोल लुट गया,
घिस -घिस रीता मन चंदन.

इस धरती से उस अम्बर तक,
दो ही चीज़ गजब की है.

एक तो तेरा भोलापन है,
एक मेरा दीवानापन.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

समंदर पीर का अन्दर है,
लेकिन रो नहीं सकता

यह आंसू प्यार का मोती है,
इसको खो नहीं सकता.

मेरी चाहत को दुल्हन तू,
बना लेना मगर सुन ले.

जो मेरा हो नहीं पाया,
वो तेरा हो नहीं सकता.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

 स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर है हम भी
बहुत मशहुर हो तुम भी, बहुत मशहुर है हम भी

बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर है हम भी
अत : मजबुर हो तुम भी, अत : मजबुर है हम भी.

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है.

किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

 ना पाने की खुशी है कुछ,
ना खोने का ही कुछ गम है.

ये दौलत और शोहरत सिर्फ,
कुछ ज़ख्मों का मरहम है.

अजब सी कशमकश है,
रोज़ जीने, रोज़ मरने में.

मुक्कमल ज़िन्दगी तो है,
मगर पूरी से कुछ कम है.


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

इस उड़ान पर अब शर्मिंदा,
में भी हूँ  और तू भी है.

आसमान से गिरा परिंदा,
में भी हूँ  और तू भी है.

छुट गयी रस्ते में,
जीने मरने की सारी कसमे.

अपने – अपने हाल में जिंदा,
में भी हूँ और तू भी है


Kumar Vishwas Shayari In Hindi

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है,
समझता हूँ.

तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है,
समझता हूँ.

तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये
मुमकिन है नहीं लेकिन.

तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है,
समझता हूँ.

कुमार विश्वास शायरी

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..

अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही
साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही
लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर
धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही…!!

कुमार विश्वास शायरी

तूफ़ानी लहरें हों
अम्बर के पहरे हों
पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
सागर के माँझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !!

कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।

राजवंश रूठे तो
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है

कुमार विश्वास शायरी

मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु
उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है, में अपना काम करता हूँ

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।

घर भर चाहे छोड़े
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है

कुमार विश्वास शायरी

हिम्मत ऐ दुआ बढ़ जाती है
हम चिरागों की इन हवाओ से
कोई तो जाके बता दे उसको
दर्द बढ़ता है अब दुआओं से

मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है

कुमार विश्वास शायरी

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो !!

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी

कुमार विश्वास शायरी

हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
खुद को पर बेक़रार मत करना ,
आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
हम न कहते थे प्यार मत करना…!!

कुमार विश्वास शायरी

उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है

कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.

कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली
और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है

कुमार विश्वास शायरी

हमें बेहोश कर साकी , पिला भी कुछ नहीं हमको
कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको
मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब
मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!

आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,
कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!
कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!

गाँव-गाँव गाता फिरता हूँ, खुद में मगर बिन गाय हूँ,
तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,
तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!
कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!
मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!

कुमार विश्वास शायरी

जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा

हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!


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