नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Best Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi. जो आपको कही और नहीं मिलेगी।
जैसा की आप जानते हो की Firaq Gorakhpuri Ki Shayari दिल छू लेने वाली होती है। इसलिए हमने आज आपके लिए बहुत ही शानदार Firaq Gorakhpuri Ki Shayari लेके आये है।
तो चलिए शुरू करते है Firaq Gorakhpuri Ki Shayari.
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

फ़ितरत मेरी इश्क़-ओ-मोहब्बत क़िस्मत मेरी तंहाई
कहने की नौबत ही न आई हम भी किसू के हो लें हैं
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

कुछ भी अयाँ निहाँ न था कोई ज़माँ मकाँ न था
देर थी इक निगाह की फिर ये जहाँ जहाँ न था
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
फिर वही रंग-ए-तकल्लुम निगह-ए-नाज़ में है
वही अंदाज़ वही हुस्न-ए-बयाँ है कि जो था
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

बात निकले बात से जैसे वो था तेरा बयाँ
नाम तेरा दास्ताँ-दर-दास्ताँ बनता गया
जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
ख़ाक उड़ाते फिरते हैं जो दीवाने दीवाने हैं
बस इतने पर हमें सब लोग दीवाना समझते हैं
कि इस दुनिया को हम इक दूसरी दुनिया समझते हैं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया
हर बार छुपा कोई हर बार नज़र आया
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
वहशतें बढ़ गईं हद से तिरे दीवानों में
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
बहसें छिड़ी हुई हैं हयात-ओ-ममात की
सौ बात बन गई है ‘फ़िराक़’ एक बात की
मुझ को मारा है हर इक दर्द ओ दवा से पहले
दी सज़ा इश्क़ ने हर जुर्म-ओ-ख़ता से पहले
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
तेरे ख़याल की ख़ुशबू से बस रहे हैं दिमाग़
रुकी रुकी सी शब-ए-मर्ग ख़त्म पर आई
वो पौ फटी वो नई ज़िंदगी नज़र आई
रस में डूबा हुआ लहराता बदन क्या कहना
करवटें लेती हुई सुब्ह-ए-चमन क्या कहना
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

रात भी नींद भी कहानी भी
हाए क्या चीज़ है जवानी भी
वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
वो इक शख़्स के याद आने की रातें
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं
ठंडी हवाएँ भी तिरी याद दिला के रह गईं
पलट पड़े न कहीं उस निगाह का जादू
कि डूब कर ये छुरी कुछ उछल तो सकती है
अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं
पहले ‘फ़िराक़’ को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

बस इतने पर हमें सब लोग दीवाना समझते हैं
कि इस दुनिया को हम इक दूसरी दुनिया समझते हैं
वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई
ज़ुल्फ़ों को उस ने खोल दिया रात हो गई
ये मोड़ वो है कि परछाइयाँ भी देंगी न साथ
मुसाफ़िरों से कहो उस की रहगुज़र आई
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
मायूसियों की गोद में दम तोड़ता है इश्क़
अब भी कोई बना ले तो बिगड़ी नहीं है बात
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
एक मुद्दत से तिरी याद
भी न आई हमें
और हम भूल गए हों
तुझे ऐसा भी नहीं
आंखों में जो बात
हो गई है
इक शरह-ए-हयात
हो गई है
आने वाली नस्लें तुम पर
फख्र करेंगी हम-असरो
जब भी उनको ध्यान आएगा
तुमने ‘फिराक’ को देखा है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
जो उलझी थी कभी
आदम के हाथों
वो गुत्थी आज तक
सुलझा रहा हूं
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया
समझ बेठे थे हम
उस निगाह-ए-आशना
को क्या समझ बैठे थे हम
मायूसियों की गोद में
दम तोड़ता है इश्क़
अब भी कोई बना ले
तो बिगड़ी नहीं है बात
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
तेरे आने की
क्या उम्मीद
मगर कैसे कह दूं
कि इंतजार नहीं
मैं हूं, दिल है
तन्हाई है
तुम भी होते
अच्छा होता
तुम मुखातिब भी हो
करीब भी हो
तुम को देखें
कि तुमसे बात करें
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
बला की क़ैद से ‘बसदेव’ का निकल जाना
बिजली की तरह लचक रहे हैं लच्छे
भाई के है बांधी चमकती राखी
न कोई वा’दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
ख़ुश भी हो लेते हैं तेरे बे-क़रार
ग़म ही ग़म हो इश्क़ में ऐसा नहीं
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
यही जगत की रीत है, यही जगत की नीत
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वाम-ए-आलम के ‘फ़िराक़’
क़ाफ़िले बसते गए हिन्दोस्ताँ बनता गया
शामें किसी को मांगती हैं आज भी ‘फ़िराक़’
गो ज़िंदगी में यूं मुझे कोई कमी नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
अरे सय्याद हमीं गुल हैं हमीं बुलबुल हैं
तू ने कुछ आह सुना भी नहीं देखा भी नहीं
देवताओं का ख़ुदा से होगा काम
आदमी को आदमी दरकार है
रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है
कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन
तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब ‘फ़िराक़’
कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
जुनूँ का नाम उछलता रहा ज़माने में
लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक
ऊँची है किस क़दर तिरी नीची निगाह भी
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
ज़ब्त कीजे तो दिल है अँगारा
और अगर रोइए तो पानी है
इसी खंडर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए
इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है
मेहरबाँ भी कोई हो जाएगा जल्दी क्या है
हाथ आए तो वही दामन-ए-जानाँ हो जाए
छूट जाए तो वही अपना गरेबाँ हो जाए
कुछ न कुछ इश्क़ की तासीर का इक़रार तो है
उस का इल्ज़ाम-ए-तग़ाफ़ुल पे कुछ इंकार तो है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है
ज़िंदगी को ज़िंदगी दरकार है
बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
वहशतें बढ़ गईं हद से तिरे दीवानों में
वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई
ज़ुल्फ़ों को उस ने खोल दिया रात हो गई
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
अब दौर-ए-आसमाँ है न दौर-ए-हयात है
ऐ दर्द-ए-हिज्र तू ही बता कितनी रात है
वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
वो इक शख़्स के याद आने की रातें
अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है
ऐ कि तेरी ख़ुशी मुक़द्दम है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं
पहले ‘फ़िराक़’ को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं
‘फ़िराक़’ इक नई सूरत निकल तो सकती है
ब-क़ौल उस आँख के दुनिया बदल तो सकती है
दीदार में इक तुर्फ़ा दीदार नज़र आया
हर बार छुपा कोई हर बार नज़र आया
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
जुनूँ का नाम उछलता रहा ज़माने में
शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो
बे-ख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो
समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है
शब-ए-फ़ुर्क़त मुझे क्या हो गया है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था
वही मील और वही संग-ए-निशाँ है कि जो था
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम
आँखों में जो बात हो गई है
इक शरह-ए-हयात हो गई है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
रात भी नींद भी कहानी भी
हाए क्या चीज़ है जवानी भी
ज़िंदगी दर्द की कहानी है
चश्म-ए-अंजुम में भी तो पानी है
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
सितारों से उलझता जा रहा हूँ
शब-ए-फ़ुर्क़त बहुत घबरा रहा हूँ
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
सुना रहा हूँ दिलों को पयाम आज़ादी
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
आँखों में जो बात हो गई है
इक शरह-ए-हयात हो गई है
आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो
जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने ‘फ़िराक़’ को देखा है
अब याद-ए-रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही
यारों ने कितनी दूर बसाई हैं बस्तियाँ
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
कह दिया तू ने जो मा’सूम तो हम हैं मा’सूम
कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम
कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है
तिरे दम भर के मिल जाने को हम भी क्या समझते हैं
ऐ सोज़-ए-इश्क़ तू ने मुझे क्या बना दिया
मेरी हर एक साँस मुनाजात हो गई
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का
तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
एक रंगीनी-ए-ज़ाहिर है गुलिस्ताँ में अगर
एक शादाबी-ए-पिन्हाँ है बयाबानों में
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
जुनूँ का नाम उछलता रहा ज़माने में
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
इनायत की करम की लुत्फ़ की आख़िर कोई हद है
कोई करता रहेगा चारा-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर कब तक
जहाँ में थी बस इक अफ़्वाह तेरे जल्वों की
चराग़-ए-दैर-ओ-हरम झिलमिलाए हैं क्या क्या
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
जिस में हो याद भी तिरी शामिल
हाए उस बे-ख़ुदी को क्या कहिए
इस दौर में ज़िंदगी बशर की
बीमार की रात हो गई है
कुछ न पूछो ‘फ़िराक़’ अहद-ए-शबाब
रात है नींद है कहानी है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
आज आई तिरी याद इस आहिस्ता-रवी से
किस लिए कम नहीं है दर्द-ए-फ़िराक़
अब तो वो ध्यान से उतर भी गए
कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ फ़ज़ा कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
इश्क़ अब भी है वो महरम-ए-बे-गाना-नुमा
हुस्न यूँ लाख छुपे लाख नुमायाँ हो जाए
इश्क़ अभी से तन्हा तन्हा
हिज्र की भी आई नहीं नौबत
इश्क़ फिर इश्क़ है जिस रूप में जिस भेस में हो
इशरत-ए-वस्ल बने या ग़म-ए-हिज्राँ हो जाए
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
इसी खंडर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए
इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात
क्या जानिए मौत पहले क्या थी
अब मेरी हयात हो गई है
उसी की शरह है ये उठते दर्द का आलम
जो दास्ताँ थी निहाँ तेरे आँख उठाने में
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
जो उलझी थी कभी आदम के हाथों
वो गुत्थी आज तक सुलझा रहा हूँ
कौन ये ले रहा है अंगड़ाई
आसमानों को नींद आती है
छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
निगाह-ए-नर्गिस-ए-राना तिरा जवाब नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिन
आज वो रब्त का एहसास कहाँ है कि जो था
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
उमीद-वारों में कल मौत भी नज़र आई
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
‘ग़ालिब’ ओ ‘मीर’ ‘मुसहफ़ी’
हम भी ‘फ़िराक़’ कम नहीं
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
ख़राब हो के भी सोचा किए तिरे महजूर
यही कि तेरी नज़र है तिरी नज़र फिर भी
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें
कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल
इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए
मुद्दतों के बा’द देखा था तो आँसू आ गए
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
ज़ब्त कीजे तो दिल है अँगारा
और अगर रोइए तो पानी है
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का है जहाँ में तुझ को
देख कर भी जो लिए हसरत-ए-दीदार चला
ज़िंदगी में जो इक कमी सी है
ये ज़रा सी कमी बहुत है मियाँ
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला
आज तक एक धुँदलके का समाँ है कि जो था
ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएँ
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त
तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
तू याद आया तिरे जौर-ओ-सितम लेकिन न याद आए
मोहब्बत में ये मा’सूमी बड़ी मुश्किल से आती है`
बहसें छिड़ी हुई हैं हयात ओ ममात की
सौ बात बन गई है ‘फ़िराक़’ एक बात की
ऐ सोज़-ए-इश्क़ तू ने मुझे क्या बना दिया
मेरी हर एक साँस मुनाजात हो गई
Firaq Gorakhpuri Quotes In Hindi
कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है
तिरे दम भर के मिल जाने को हम भी क्या समझते हैं
दुनिया थी रहगुज़र तो क़दम मारना था सहल
मंज़िल हुई तो पाँव की ज़ंजीर हो गई
‘ग़ालिब’ ओ ‘मीर’ ‘मुसहफ़ी’
हम भी ‘फ़िराक़’ कम नहीं
वो रातों-रात ‘सिरी-कृष्ण’ को उठाए हुए
बला की क़ैद से ‘बसदेव’ का निकल जाना
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई
ज़ुल्फ़ों को उस ने खोल दिया रात हो गई
रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गए
वाह-री ग़फ़लत तुझे अपना समझ बैठे थे हम
तिरा ‘फ़िराक़’ तो उस दिन तिरा फ़िराक़ हुआ
जब उन से प्यार किया मैं ने जिन से प्यार नहीं
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
निगाह-ए-नर्गिस-ए-राना तिरा जवाब नहीं
माज़ी के समुंदर में अक्सर यादों के जज़ीरे मिलते हैं
फिर आओ वहीं लंगर डालें फिर आओ उन्हें आबाद करें
इस दौर में ज़िंदगी बशर की
बीमार की रात हो गई है
Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi
मैं ये तो नहीं कहता कि बशर दावा-ए-ख़ुदाई कर बैठे
फिर भी ग़म-ए-इश्क़ से इंसाँ में कुछ शान-ए-ख़ुदा आ जाती है
कहो तो अर्ज़ करें मान लो तो क्या कहना
तुम्हारे पास हम आए हैं इक ज़रूरत से
अहबाब से रखता हूँ कुछ उम्मीद-ए-ख़ुराफ़ात
रहते हैं ख़फ़ा मुझ से बहुत लोग इसी से
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
ऐ भूल न सकने वाले तुझ को
भूले न रहें तो क्या करें हम
इनायत की करम की लुत्फ़ की आख़िर कोई हद है
कोई करता रहेगा चारा-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर कब तक
कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ फ़ज़ा कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
फ़रेब-ए-अहद-ए-मोहब्बत की सादगी की क़सम
वो झूट बोल कि सच को भी प्यार आ जाए
इश्क़ अब भी है वो महरम-ए-बे-गाना-नुमा
हुस्न यूँ लाख छुपे लाख नुमायाँ हो जाए
कहाँ इतनी ख़बर उम्र-ए-मोहब्बत किस तरह गुज़री
तिरा ही दर्द था मुझ को जहाँ तक याद आता है
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
माइल-ए-बेदाद वो कब था ‘फ़िराक़’
तू ने उस को ग़ौर से देखा नहीं
तिरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है
उतर गया रग-ए-जाँ में ये नेश्तर फिर भी
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
जुनूँ का नाम उछलता रहा ज़माने में
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
उमीद-वारों में कल मौत भी नज़र आई
जिन की ता’मीर इश्क़ करता है
कौन रहता है उन मकानों में
रोने वाले हुए चुप हिज्र की दुनिया बदली
शम्अ बे-नूर हुई सुब्ह का तारा निकला
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
तिरी निगाह सहारा न दे तो बात है और
कि गिरते गिरते भी दुनिया सँभल तो सकती है
तिरा विसाल बड़ी चीज़ है मगर ऐ दोस्त
विसाल को मिरी दुनिया-ए-आरज़ू न बना
मैं आसमान-ए-मोहब्बत से रुख़्सत-ए-शब हूँ
तिरा ख़याल कोई डूबता सितारा है
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
चुप हो गए तेरे रोने वाले
दुनिया का ख़याल आ गया है
क़फ़स वालों की भी क्या ज़िंदगी है
चमन दूर आशियाँ दूर आसमाँ दूर
ये ज़िल्लत-ए-इश्क़ तेरे हाथों
ऐ दोस्त तुझे कहाँ छुपा लें
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
ये ज़िंदगी के कड़े कोस याद आते हैं
तिरी निगाह-ए-करम का घना घना साया
फ़ज़ा तबस्सुम-ए-सुब्ह-ए-बहार थी लेकिन
पहुँच के मंज़िल-ए-जानाँ पे आँख भर आई
तिरे पहलू में क्यूँ होता है महसूस
कि तुझ से दूर होता जा रहा हूँ
ज़िक्र था रंग-ओ-बू का और दिल में
तेरी तस्वीर उतरती जाती थी
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
अभी तो कुछ ख़लिश सी हो रही है चंद काँटों से
इन्हीं तलवों में इक दिन जज़्ब कर लूँगा बयाबाँ को
बे-ख़ुदी में इक ख़लिश सी भी न हो ऐसा नहीं
तू न आए याद लेकिन मैं तुझे भूला नहीं
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिन
आज वो रब्त का एहसास कहाँ है कि जो था
Firaq Gorakhpuri Ghazal In Hindi
ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
आज आई तिरी याद इस आहिस्ता-रवी से
दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त
ख़ाक का इतना चमक जाना ज़रा दुश्वार था
वफ़ूर-ए-बे-ख़ुदी-ए-इश्क़ के रुमूज़ न पूछ
कई दफ़ा तो तिरा नाम भी न याद आया
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला
आज तक एक धुँदलके का समाँ है कि जो था
मैं आज सिर्फ़ मोहब्बत के ग़म करूँगा याद
ये और बात कि तेरी भी याद आ जाए
मंज़िलें गर्द के मानिंद उड़ी जाती हैं
वही अंदाज़-ए-जहान-ए-गुज़राँ है कि जो था
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
कहाँ हर एक से बार-ए-नशात उठता है
बलाएँ ये भी मोहब्बत के सर गई होंगी
समझना कम न हम अहल-ए-ज़मीं को
उतरते हैं सहीफ़े आसमाँ से
चुपके चुपके उठ रहा है मध-भरे सीनों में दर्द
धीमे धीमे चल रही हैं इश्क़ की पुरवाइयाँ
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
सच तो ये है बड़े आराम से हूँ
तेरे हर लहज़ा सताने की क़सम
एक रंगीनी-ए-ज़ाहिर है गुलिस्ताँ में अगर
एक शादाबी-ए-पिन्हाँ है बयाबानों में
रफ़्ता रफ़्ता इश्क़ मानूस-ए-जहाँ होने लगा
ख़ुद को तेरे हिज्र में तन्हा समझ बैठे थे हम
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
आँख चुरा रहा हूँ मैं अपने ही शौक़-ए-दीद से
जल्वा-ए-हुस्न-ए-बे-पनाह तू ने ये क्या दिखा दिया
ये सानेहे दिल-ए-ग़म-गीं हुआ ही करते हैं
न इश्क़ ही की ख़ता है न हुस्न ही का क़ुसूर
मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ऐ दोस्त
आह अब मुझ से तिरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
थी यूँ तो शाम-ए-हिज्र मगर पिछली रात को
वो दर्द उठा ‘फ़िराक़’ कि मैं मुस्कुरा दिया
मालूम है मोहब्बत लेकिन उसी के हाथों
ऐ जान-ए-इशक़ मैं ने तेरा बुरा भी चाहा
नींद आ चली है अंजुम-ए-शाम-ए-अबद को भी
आँख अहल-ए-इंतिज़ार की अब तक लगी नहीं
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का है जहाँ में तुझ को
देख कर भी जो लिए हसरत-ए-दीदार चला
इक्का-दुक्का सदा-ए-ज़ंजीर
ज़िंदाँ में रात हो गई है
मिरे दिल से कभी ग़ाफ़िल न हों ख़ुद्दाम-ए-मय-ख़ाना
ये रिंद-ए-ला-उबाली बे-पिए भी तो बहकता है
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
दिल-ए-ग़म-गीं की कुछ महवीय्यतें ऐसी भी होती हैं
कि तेरी याद का आना भी ऐसे में खटकता है
ले उड़ी तुझ को निगाह-ए-शौक़ क्या जाने कहाँ
तेरी सूरत पर भी अब तेरा गुमाँ होता नहीं
सरहद-ए-ग़ैब तक तुझे साफ़ मिलेंगे नक़्श-ए-पा
पूछ न ये फिरा हूँ मैं तेरे लिए कहाँ कहाँ
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
इस की ज़ुल्फ़ आरास्ता पैरास्ता
इक ज़रा सी बरहमी दरकार है
उसी की शरह है ये उठते दर्द का आलम
जो दास्ताँ थी निहाँ तेरे आँख उठाने में
इस पुर्सिश-ए-करम पे तो आँसू निकल पड़े
क्या तू वही ख़ुलूस सरापा है आज भी
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
वो कुछ रूठी हुई आवाज़ में तज्दीद-ए-दिल-दारी
नहीं भूला तिरा वो इल्तिफ़ात-ए-सर-गिराँ अब तक
लुत्फ़-ओ-सितम वफ़ा जफ़ा यास-ओ-उमीद क़ुर्ब-ओ-बोद
इश्क़ की उम्र कट गई चंद तवहहुमात में
तुझ से हिजाब क्या मगर ऐ हम-नशीं न पूछ
उस दर्द-ए-हिज्र को जो शब-ए-ग़म उठा नहीं
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
तुम इसे शिकवा समझकर किस लिए शरमा गए
मुद्दतों के बाद देखा था तो आँसू आ गए।
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गये हों तुझे ऐसा भी नहीं।
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझको मोहब्बत कहाँ कहाँ।
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम।
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता।
रोने को तो जिंदगी पड़ी है
कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें।
फिराक गोरखपुरी रेख़्ता
न जाने अश्क़ से आँखों में क्यों है आये हुए
गुजर गया जमाना तुझे भुलाये हुए।
बहुत पहले से ही उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नही
जिंदगी तूने तो धोके पे दिया है धोका।
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िन्दगी का कोई इलाज नहीं।