Best 199+ Allama Iqbal Shayari In Hindi 2023 | अल्लामा इकबाल शायरी

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप जानने वाले हो Best Allama Iqbal Shayari In Hindi. जो आपको कही और नहीं मिलेगी।

जैसा की आप जानते हो की Allama Iqbal Ki Shayari दिल छू लेने वाली होती है। इसलिए हमने आज आपके लिए बहुत ही शानदार Allama Iqbal Ki Shayari लेके आये है।

तो चलिए शुरू करते है Allama Iqbal Ki Shayari.


Allama Iqbal Shayari In Hindi

Best Allama Iqbal Shayari In Hindi
Best Allama Iqbal Shayari In Hindi

अमल से ज़िन्दगी बनती है, जन्नत भी, जहन्नम भी,
ये खाकी अपनी फितरत में, न नूरी है न नारी है.

खुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.

दुआ तो दिल से मांगी जाती है, जुबां से नहीं ऐ इक़्बाल,
क़ुबूल तोह उसकी भी होती है जिसकी जुबां नहीं होती.


Allama Iqbal Shayari In Hindi

Best Allama Iqbal Shayari In Hindi
Best Allama Iqbal Shayari In Hindi

खफा जो इश्क़ में होते हैं, वो खफा ही नहीं,
सितम न हो मोहब्बत में, कुछ मज़ा ही नहीं.

Manzil se aage badh kar, manzil talash kar,
Mil jaye tujhko dariya, samundar talaash kar.
Har sheesha toot jaata hai pathar ki chot se,
Pathar hi toot jaye, wo sheesha talaash kar.

कोई इबादत की चाह में रोया,
कोई इबादत की राह में रोया,
अजीब है ये नमाज़-इ-मोहब्बत के सिलसिले इक़बाल,
कोई कज़ा कर के रोया, कोई ऐडा कर के रोया.


Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari In Hindi
Allama Iqbal Shayari In Hindi
कौन रखेगा याद हमे इस दौरे खुदगर्ज़ी में,
हालात ऐसे है की लोगों को ख़ुदा याद नहीं.
न रख उम्मीद-इ-वफ़ा किसी परिंदे से इकबाल,
जब पर निकल आते है तोह अपना आशियाना भूल जाते हैं.
सोने दे अगर वो सो रहा है गुलामी की नींद में,
हो सकता है वो ख्वाब आज़ादी का देख रहा हो.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari In Hindi
Allama Iqbal Shayari In Hindi
दिल से जो बात निकली है, असर रखती है,
पर नहीं, मगर ताकत-इ-परवाज़ रखती है.
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है, चमन में दीदावर पैदा.
मन की तेरी दीड के काभिल नहीं हूँ मैं,
तुम एरा शौक़ देख, मेरा इंतज़ार देख.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari
Allama Iqbal Shayari
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिंदी हैं हम, वतन है हिंदुस्तान हमारा.
मुझे रोकेगा क्या तू ऐ नाखुदा ग़र्क़ होने से,
की जिनको डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में.
नहीं है न-उम्मीद इक़बाल अपनी किश्त-इ-वीरान से,
ज़रा नाम हो तो ये मिटटी बहुत ज़रखेज़ है साक़ी.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari
Allama Iqbal Shayari
पुराने है ये सितारे, फलक भी फ़रसूदा,
जहाँ वो चाहिए मुझ को की हो अभी नौ-ख़ेज़.
यकीं मोहकम, अमल पैहम, मोहब्बत फतह-इ-आलम,
जिहाद-इ-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें.
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं,
अभी इश्क में इम्तेहां और भी हैं.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Iqbal Shayari
Iqbal Shayari
हंसी आती है मुझे हैरत-इ-इंसान पर,
गुनाह करता है खुद लानत भेजता है शैतान पर.
तेरे इश्क़ की इन्तेहाँ चाहता हु,
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ.
पैरवाने को चिराग है बुलबुल को फूल बस,
सिद्दीके के लिए है खुदा का रसूल बस.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari urdu
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उम्र भर लिखते रहे फिर भी वरख सदा रहा,
जाने क्या लफ्ज़ थे जो हमसे तुम्हारे न हुए.
सौ बार कहा मैंने इंकार है मोहब्बत से,
हर बार सदाइ तुम दिल से नहीं कहते.
तेरी रहमत पे है मुनहसिर मेरे हर अमल की कबूलियत,
न मुझे सलीक़ाह इल्तेजाः, न मुझे शायरी नमाज़ है.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

Allama Iqbal Shayari urdu
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हुस्न ए किरदार से नूर ए मुजस्सम हो जा,
की इब्लीस भी तुझे देखे तो मुसलमान हो जाये.
किसी की याद ने ज़ख़्मों से भर दिया सीना.
हर एक सांस पर शक है कि आखरी होगी.
मत कर खाक़ के पत्ते पर ग़ुरूर व बेनियाज़ी इतनी,
खुद को खुद में झांक कर देख तुझमे रखा क्या है.

Allama Iqbal Shayari In Hindi 2023

Allama Iqbal Shayari urdu
Allama Iqbal Shayari urdu
Kashti bhi nahi badali, dariya bhi nahi badala,
Aur doobne waalon ka jazba bhi nahi badala.
Hai shauk safar ek arse se yaaron,
Manzil bhi nahi paayi aur rasta bhi nahi badala.
Likhna nahi aata to meri jaan padha kar
Ho jayegi teri mushkil asaan padha kar
Padhne ke liye agar tujhe kuch na mile to
Chehron pe likhe dard ka gwaan padha kar.
बुरा समझो उन्हें मुझसे तो ऐसा हो नहीं सकता,
कह मैं खुद तो हु इक़्बाल अपने नुख्तः छीनूँ मैं.

Allama Iqbal Shayari In Hindi

इकबाल के तराने
इकबाल के तराने
तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती,
मगर है इससे ये मुमकिन कि तू बदल जाये.
तेरी दुआ है कि हो तेरी आरज़ू,
मेरी दुआ है की तेरी आरज़ू बदल जाये.
पानी पानी कर गयी मुझको कलंदर की वो बात
तू झुका जो ग़ैर के आगे न तन तेरा न मन तेरा।अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन।

Allama Iqbal Shayari In Hindi

इकबाल के तराने
इकबाल के तराने

तेरे इश्क़ की इन्तिहा चाहता हूँ।
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ।

दिल की बस्ती अजीब बस्ती है, लूटने वाले को तरसती है।
मुमकिन है कि तू जिसको समझता है बहारां
औरों की निगाहों में वो मौसम हो खिजां का।

तेरी दुआ से कज़ा* तो बदल नहीं सकती मगर है,
इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये तेरी दुआ है,
की हो तेरी आरज़ू पूरी मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये।


Allama Iqbal Shayari In Hindi 2023
 जफा* जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं,
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नही।

 इश्क़ क़ातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी
यह बता किस से मुहब्बत की जज़ा मांगेगा
सजदा ख़ालिक़ को भी इबलीस से याराना भी
हसर में किस से अक़ीदत का सिला मांगेगा।

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी


Allama Iqbal Shayari In Hindi
 भरी बज़्म में अपने आशिक़ को ताड़ा
तेरी आँख मस्ती में होश्यार क्या थी

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे।

बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था
क्यूँ कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं
रोज़ी उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो।


Allama Iqbal Shayari In Hindi
खुदा के बन्दे तो हैं हजारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे
मैं उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा

उम्र भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमत रही
मैं तेरी खिदमत के क़ाबिल जब हुआ तो तू चल बसी।

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में


Allama Iqbal Shayari In Hindi
 सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल* हूं मैं
हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं।

मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे
कि दाना खाक में मिलकर गुले गुलज़ार होता है

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां और भी हैं।


Allama Iqbal Shayari In Hindi
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमां और भी हैं

उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं
कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए
बड़े इसरार पोशीदा हैं इस तनहा पसंदी में।

यह मत समझो के दीवाने जहनदीदा नहीं होते,
ताजुब क्या अगर इक़बाल दुनिया तुझ से नाखुश है,
बहुत से लोग दुनिया में पसंददीदा नहीं होते।


Allama Iqbal Shayari In Hindi
 यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें

तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझको भी फ़ाश कर दिया,
मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में।

तेरी दुआ से कज़ा* तो बदल नहीं सकती
मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये
तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये।


Allama Iqbal Shayari In Hindi
मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से,
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में।

अनोखी वज़्अ’ है सारे ज़माने से निराले हैं
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं

आज फिर तेरी याद मुश्किल बना देगी
सोने से काबिल ही मुझे रुला देगी
आँख लग गई भले से तो डर है
कोई आवाज़ फिर मुझे जगा देगी।


Allama Iqbal Shayari In Hindi 2023
उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझाई हुई कलियाँ ,
न तुम ए तो यूं जश्न -ऐ -बहाराँ कर लिया मैने ..
जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है ,
उन का हर ऐब भी ज़माने को हुनर लगता है …

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी।
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन।

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है
फिर इस में अजब क्या कि तू बेबाक नहीं है


Allama Iqbal Shayari In Hindi
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर
होश ओ ख़िरद शिकार कर क़ल्ब ओ नज़र शिकार कर

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

इल्म में भी सुरूर है लेकिन
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं


Allama Iqbal Shayari In Hindi
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें

फ़िर्क़ा-बंदी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
क्या ज़माने में पनपने की यही बातें हैं


Allama Iqbal Shayari In Hindi
अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है
शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात

फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
तस्ख़ीर-ए-मक़ाम-ए-रंग-ओ-बू कर

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
है देखने की चीज़ इसे बार बार देख


Allama Iqbal Shayari In Hindi
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं

इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में


Allama Iqbal Shayari In Hindi
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है

नहीं है ना-उमीद ‘इक़बाल’ अपनी किश्त-ए-वीराँ से
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी

अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा


Allama Iqbal Shayari In Hindi
नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त
ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना

जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही

नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में


Allama Iqbal Shayari In Hindi
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

जलाल-ए-पादशाही हो कि जमहूरी तमाशा हो
जुदा हो दीं सियासत से तो रह जाती है चंगेज़ी


Allama Iqbal Shayari In Hindi
निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
शिकार-ए-मुर्दा सज़ा-वार-ए-शाहबाज़ नहीं

अनोखी वज़्अ’ है सारे ज़माने से निराले हैं
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए


Allama Iqbal Shayari In Hindi
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते

निकल जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है

इसी ख़ता से इताब-ए-मुलूक है मुझ पर
कि जानता हूँ मआल-ए-सिकंदरी क्या है


Allama Iqbal Shayari In Hindi
पास था नाकामी-ए-सय्याद का ऐ हम-सफ़ीर
वर्ना मैं और उड़ के आता एक दाने के लिए

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
वो निकले मेरे ज़ुल्मत-ख़ाना-ए-दिल के मकीनों में

जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी
उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो


Allama Iqbal Shayari In Hindi
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में

ख़ुदावंदा ये तेरे सादा-दिल बंदे किधर जाएँ
कि दरवेशी भी अय्यारी है सुल्तानी भी अय्यारी

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन


Allama Iqbal Shayari In Hindi
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

कभी छोड़ी हुई मंज़िल भी याद आती है राही को
खटक सी है जो सीने में ग़म-ए-मंज़िल न बन जाए

ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं
तू आबजू इसे समझा अगर तो चारा नहीं


Allama Iqbal Shayari In Hindi
आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही

किसे ख़बर कि सफ़ीने डुबो चुकी कितने
फ़क़ीह ओ सूफ़ी ओ शाइर की ना-ख़ुश-अंदेशी

कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है
बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है


Allama Iqbal Shayari In Hindi
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा


Allama Iqbal Shayari In Hindi
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है
फिर इस में अजब क्या कि तू बेबाक नहीं है


Allama Iqbal Shayari In Hindi
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है

वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग
इसी के साज़ से है ज़िंदगी का सोज़-ए-दरूँ


Allama Iqbal Shayari In Hindi
जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा
तिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में

ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी
जिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही

हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़


Allama Iqbal Shayari In Hindi
जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी
उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें

फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है


Allama Iqbal Shayari In Hindi
बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
अक़्ल है महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है

तुझे किताब से मुमकिन नहीं फ़राग़ कि तू
किताब-ख़्वाँ है मगर साहिब-ए-किताब नहीं


Allama Iqbal Shayari In Hindi
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा


Allama Iqbal Shayari In Hindi
उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

अनोखी वज़्अ’ है सारे ज़माने से निराले हैं
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं

ये काएनात अभी ना-तमाम है शायद
कि आ रही है दमादम सदा-ए-कुन-फ़यकूँ

Allama Iqbal Shayari urdu

तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर
ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र

जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा
तिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में

बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
अक़्ल है महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी

Allama Iqbal Shayari urdu

मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका

न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

Allama Iqbal Shayari urdu

ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है

मिलेगा मंज़िल-ए-मक़्सूद का उसी को सुराग़
अँधेरी शब में है चीते की आँख जिस का चराग़

Jo Karte Hai Adab Ustaad Ka
Woh Paate Hai Rifat
Jo Inke Be Adab Hote Hai
Wahi Barbaad Hote Hai

Allama Iqbal Shayari urdu

Yahi Rakhte Hai Sehar E Ilm Ki
Har Raah Ko Raushan
Hume Manzil Pe Phucha Kar
Ye Kitne Shaad Hote Hai

Hamari Darsgahoo Me Ye Jo Ustaad Hote Hai.
Haqiqat Me Yhi To Qaum Ki Bunniyad Hote Hai

जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही

Allama Iqbal Shayari urdu

मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं
उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद

सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है
ऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे

उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं
कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए

इकबाल के तराने

तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू
या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर

निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
शिकार-ए-मुर्दा सज़ा-वार-ए-शाहबाज़ नहीं

अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा

इकबाल के तराने

मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में

हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
क्या चाँद तारे क्या मुर्ग़ ओ माही

मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी
जो होशियारी ओ मस्ती में इम्तियाज़ करे

इकबाल के तराने

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतज़ार देख

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूं या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

इकबाल के तराने

फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसितां हमारा

साकी की मुहब्बत में दिल साफ हुआ इतना
जब सर को झुकाता हूं शीशा नजर आता है

इकबाल के तराने

मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए
कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है

समुंदर से मिले प्यासे को शबनम
बख़ीली है ये रज़्ज़ाक़ी नहीं है

बुतों से तुझ को उमीदें ख़ुदा से नौमीदी
मुझे बता तो सही और काफ़िरी क्या है

इकबाल के तराने

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ

मोती समझ के शान-ए-करीमी ने चुन लिए
क़तरे जो थे मिरे अरक़-ए-इंफ़िआ’ल के

मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है
शमशीर-ओ-सिनाँ अव्वल ताऊस-ओ-रुबाब आख़िर

इकबाल के तराने

ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़
इशारा पाते ही सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़

आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही

सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई

इकबाल के तराने

गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है!

कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है
बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए

इकबाल के तराने

हवा हो ऐसी कि हिन्दोस्ताँ से ऐ ‘इक़बाल’
उड़ा के मुझ को ग़ुबार-ए-रह-ए-हिजाज़ करे

मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी
जो होशियारी ओ मस्ती में इम्तियाज़ करे

हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
क्या चाँद तारे क्या मुर्ग़ ओ माही

इकबाल के तराने

मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में

अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा

न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं

इकबाल के तराने

मिलेगा मंज़िल-ए-मक़्सूद का उसी को सुराग़
अँधेरी शब में है चीते की आँख जिस का चराग़

नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त
ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना

है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद

इकबाल के तराने

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
है देखने की चीज़ इसे बार बार देख

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी

अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है
शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात

इकबाल के तराने

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा

निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
शिकार-ए-मुर्दा सज़ा-वार-ए-शाहबाज़ नहीं

तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू
या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर

इकबाल के तराने

उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं
कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए

सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है
ऐ बे-ख़बर जज़ा की तमन्ना भी छोड़ दे

मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं
उन्हीं का काम है ये जिन के हौसले हैं ज़ियाद

जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही


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